हनुमान जी के परमभक्‍त श्री संत सिया राम बाबा जी का 110 वर्षो में निधन । Who is sant siyaram baba.

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 हनुमान जी के परमभक्‍त श्री संत सिया राम बाबा जी आज सुबह 6 बजकर 10 मिनट में प्रभुलिन हो गये । उनका अंतिम संस्‍कार आज शाम 4 बजे भट्याण आश्रम के निकट किया जायेगा। उनके निधन के बाद देशभर में शौक की लहर है। संत सिया राम बाबा जी निमोनिया से ग्रस्‍त थे, जिसमें उनका उपचार इंदौर के डॉक्‍टरों के द्वारा किया जा रहा था। 

संत सिया राम बाबा जी का जन्‍म कहां हुआ था।

संत सिया राम बाबा जी का जन्‍म गुजरात के भावनगर में हुआ था उनकी बचपन से ही रूची अध्‍यात्‍म के और थी। इसलिए उन्‍होंने से 17 साल की उम्र में आध्‍यात्मिक मार्ग अपनाया और कई साल तक अपने गुरू के साथ देश का भ्रमण किया और अनंत में भट्याण आए।

भट्याण में उन्‍होंने एक पेड़ के नीचे मौन रूप में तपस्‍या कि और तपस्‍या पूर्ण होने के बाद उनके मुख से सबसे पहला शब्‍द ''सिया राम'' निकला तबसे उनका नाम सिया राम बाबा पड़ गया।

हनुमान जी के परमभक्‍त श्री संत सिया राम बाबा जी का 110 वर्षो में निधन । Who is sant siyaram baba. Sant siya ram baba kon the. संत सिया राम बाबा बिना माचिस जला देते थे दिये।
कौन थे संत सिया राम बाबा। Who is sant siyaram baba

बाबा ने खुद को मौसम के अनुरूप ढाल लिया था।

चाहे गर्मी हो या कड़ाके की ठंडा, बाबा सिर्फ एक लंगोट में रहते थे। बाबा के भक्‍तों ने उन्‍हें कभी लंगोट के अलावा और किसी वस्‍त्रों में नहीं देखा। कई लोगों का मानना है कि बाबा जी ने 10 साल तक खड़े होकर तपस्‍या की और योग साधना के दम पर खुद को मौसम के अनूरूप ढाल  लिया। 

बिना माचिस के जला देते थे दिये।

बाबा जी के चमत्‍कार के चर्चे यहीं नहीं रूकते। अद्भुत प्रतिभा के धनी बहुत ही सरल मिजाज बाबा इतने चमत्‍कारिक थे, कि बिना माचिस के ही दीप का प्रज्‍जवलित कर देते थे। पिछले कुछ दिनों में उनका एक दीप प्रज्‍जवलन का वीडियों काफी वायरल भी हुआ। बाबा प्रति‍दिन बहुत ही निष्‍ठा के साथ भगवान की पूजा करते थे बाबा भगवान राम और हनुमान जी के अनंत भक्‍त थे।

सिर्फ 10 रूपए ही चढ़ावा लेते थे बाबा।

अगर कोई भी व्‍यक्ति बाबा जी के आश्रम में आता था और दान करता था तो बाबा जी सिर्फ दान किे रूप में 10 रूपयें ही स्‍वीकार करते थें ये उनके आश्रम का नियम था।

एक बार बाहर से आये एक विदेशी व्‍यक्ति ने बाबा जी को 500 रूपये दक्षिणा के रूपये में दीये जिसे बाबा जी ने तुरंत वापस कर दिये और सिर्फ 10 रूपये ही स्‍वीकार किये।

बाबा लगातार 21 घंटो तक रामायण का पाठ करते थें।

बाबा जी 100 साल की उम्र में भी लगातार 21 घंटो तक रामायण का  पाठ करते थे और इतना ही नही इस उम्र में भी बाबा जी को चश्‍मा नही लगा था वह बिना चश्‍में के पाठ किया करते थे और इसके अलावा बाबा जी अपना दैनिक जीवन में होने वाले कामों को भी स्‍वंंय करते थे।   

बाबा द्वारा दिये गये दानों कि चर्चा जितनी भी कि जाये उतनी ही कम है।

संत सिया राम बाबा जी ने नर्मदा नदी के घाटों की मरम्‍मत के लिये लगभग 2 करोड़ 57 लाख रूपये दान किये थे, वहीं शिक्षा  विकास के लिये उन्‍होंने स्‍कूल-कॉलेजों के निर्माण हेतु 2.50 करोड़ रूपये दान किये । इसके अतिरिक्‍त नागलवाड़ी भीलट मंदिर हेतु 2.50 करोड़ व राम मंदिर के निर्माण हेतु 2.5 लाख रूपये, नर्मदा परिक्रवासियों के ठहरने के लिये भट्याण-ससाबड़ मार्ग पर 5 लाख रूपये से यात्री प्रतीक्षालय का निर्माण करवाया।


Author- Shri Aman Kumar Tomar   

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