Acharya Vidyasagar dead news in hindi. आचार्य विधासागर कि मौत कैसे हुई।

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देश-विदेश के जैन समुदाय के लिये 18  फरवरी 2024 बहुत बुरा समय लेकर आया यह वह पल तथा जब कलयुग का वर्धमान कहें जाने वाले श्री आचार्य विद्यासागर महाराज जी ब्रहृालीन हो गये।

आचार्य विधा सागर जी महाराज को उनके ब्रहृालीन होने का पहले से ही आभास हो चुका था विनयांजलि से आये हुये श्रद्धालुओं से बात करने में पता चला कि आचार्य विधा सागर जी महाराज नहीं चाहते थें कि उनकी समाधि की जानकारी लोगों तक पहुँचे आचार्य विधार सागर महाराज जी ने 3 दिन का उपवास कर अपना देह त्‍याग दिया और शनिवार से रविवार के बीच रात 2:30 बजे महाराज जी ने अपना देह त्‍याग दिया।

महाराज जी का व्‍यक्तित्‍व:-

महाराज जी एक ऐसे महान व्‍यक्तित्‍व वाले व्‍यक्ति थे जिनके अनुयायी जैन धर्म के साथ-साथ अन्‍य धर्मों के भी थें। 
108 श्री आचार्य विधासागर जी का जन्‍म कनार्टक के निकट सदलगा गांव में 1946 को 10 अक्‍टूबर को शरद पूर्णिमा वाले दिन हुआ था आचार्य जी बचपन से ही प्रतिभा के बहुत धनी थें,  इनके परिवार में इनके अतिरिक्‍त तीन भाई व 2 बहनें थी आचार्य जी के बहनों ने भी ब्रहृाचार्य लिया था।
अब तक आचार्य जी 600 से अधिक लोगों को जैन धर्म की शिक्षा दे चुके हैं। 
हाल में ही 11 फरवरी 2024 के दिन महाराज जी को गिनीज वर्ल्‍ड रिकार्ड में ''ब्रहृांंड देवता'' के तौर पर सम्‍मानित किया गया था।
विधा सागर महाराज जी ने संस्‍कृत भाषा सहित हिंदी में भी कई ग्रंथ लिखे इसके अलावा 150 से अधिक पीएचडी शोधकर्ताओं ने उनके लिखे लेख पर शोध किं। 
आचार्य विधा सागर जी महाराज को उनके ब्रहृालीन होने का पहले से ही आभास हो चुका था

    आचार्य विधा सागर जी महाराज को उनके ब्रहृालीन होने का पहले से ही आभास हो चुका था

खेलने की उम्र में धर्म की ओर अग्रसर

जिस उम्र में बच्‍चों का ध्‍यान खेलने कूदने की और होता है। उस उम्र में महाराज जी का पूरा ध्‍यान धर्म की और था। खेलने-कूदने कि उम्र में महाराज जी अपना माता-पिता जी के साथ मंदिर जाते थे और धर्म प्रवचन सुनना, सात्विक भोजन करना, संस्‍कृृत के कठिन सूत्रों एवं पदों को कंठस्‍थ याद कर लेना उनके जीवन का हिस्‍सा मात्र था।
महाराज जी की दिनचार्य से ऐसा प्रतीत होता था कि मानो महाराज जी अध्‍यात्‍म की ओर अग्रसर हो रहे हैं। पढ़ाई हो या फिर कोई अन्‍य गृृह कार्य महाराज जी सभी कार्यों को अनुशासित ढंग से पूर्ण करते थे। 

अगर हम महाराज जी के अनुशासन कि बात करें तो उनका दृढ़ निश्‍चय का अंदाज इसी बात से लगाया जा सकता हैं कि ''एक बार महाराज जी को बिच्‍छु ने कटा लिया इतना असहनीय पीड़ादायक दर्द होने के बाद भी महाराज जी रोये नहीं और इतना दर्द होने के बाद भी उन्‍होंने अपने दिनचर्या में शामिल सभी धार्मिक कार्य और अन्‍य कार्यों को पूरा किया जैसे वे प्रतिदिन करते हैं। ''

प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी सहित अन्‍य राजनेताओं ने भी 108 आचार्य श्री विधा सागर महाराज जी को श्रद्धाजंलि प्रदान कि।
प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने 108 आचार्य श्री विधा सागर जी महाराज पर शोक व्‍यक्‍त करते हुये कहा कि:-

'' मुझे वर्षों तक आचार्य श्री विधा सागर महाराज जी का आशीर्वाद प्राप्‍त करने का सम्‍मान मिला मैं पिछले साल के अंत में छतीसगढ़ के डोगरगढ़ में चंद्रगिरि जैन मंदिर में अपनी यात्रा को कभी नही भूला सकता। उस समय मैंने आचार्य श्री विधा सागर महाराज जी के साथ समय बिताया।''

प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी के साथ, उत्‍तरप्रदेश के मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ, छतीसगढ़ के गर्वनर विश्‍वभूषण हरिचंदन, पूर्व मुख्‍यमंत्री भूपेश पटेल सहित अन्‍य राज्‍य नेताओं ने आचार्य जी को श्रंद्धाजंंलि दी और शौक व्‍यक्‍त किया।
 वही 18 फरवरी के दिन छतीसगढ़ सरकार ने आधे दिन के राजकीय शौक की घोषणा कि और किसी भी प्रकार हर्षोल्‍लास वाले कार्यक्रम पर एक दिन की रोक लगा दी। 
 

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