मुख्‍तार अंसारी के केस। Mukhatar Ansari ke case.

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Kon tha mukhtar Ansari :-यू पी कि बांदा जेल में सजा काट रहे है। खूंखार गैंगस्‍टार मुख्‍तार अंसारी कि गुरूवार रात 8 बजे करीब मौत हो गई पूर्वांचल  कि राजनीति में मुख्‍तार अंसारी के नाम काफी दबदबा था। 

मुख्‍तार अंसारी मऊ क्षेत्र से 5 बार विधायक चुने गये पर इनके राजनीति करियर से ज्‍यादा इनका अपराधिक करियर चर्चा में रहे हैं।
मुख्‍तार अंसारी उत्‍तरप्रदेश के सबसे खूंखार अपराधियों से एक थें आप इसका अंदाज इस बात से लगा सकते हैं कि इनके ऊपर 65 से अधिक अपराधिक मामले अलग-अलग धाराओं में दर्ज थें जिसमें तो 8 हत्‍या के मामले थे।

परिवार पर दर्ज 101 के मामले

अपराधिक गतिविधियों में अंसारी परिवार भी किसी ने कम नहीं, अगर हम इनके परिवार कि बात करें तो भाई अफजाल अंसारी में 7 मामले, भाई सिगबतुल्‍लाह पर  3 मामले, पत्‍नी अफसा अंसारी में 11 मामले, बेटे अब्‍बास  अंसारी पर 8 और छोटे बेटे में 6 मामले दर्ज है।
यहां तक कि मुख्‍तार अंसारी कि बहू निखत पर भी 1 मुकदमा दर्ज है। 




ऐसा रखा अपराध की दुनिया में कदम
मुख्‍तार अंसारी के परिवार की पहचान बहुत की प्रतिष्ठित परिवार से होती हैं। मुख्‍तार अंसारी के दादा आजादी के पहले इंडियन नेशनल कांग्रेस के अध्‍यक्ष रहें  वहीं उन्‍होंने महात्‍मा गांधी के साथ कई आंंदोलन मे भाग भी लिया इनके नाना कि बात करें तो वहां महावीर चक्र विजेता थें  वहीं उनके चाचा उपराष्‍ट्रपति हमीद अंसारी थे इनका परिवार काफी गौरवशाली और समृद्ध परिवार था पर इतने समृद्ध परिवार होने बावजूद मुख्‍तार अंसारी ने अपराध का रास्‍ता चुना और पहली बार सन् 1988 को यूपी के आजमगढ़ में संजय प्रकाश सिंह कि हत्‍या की कोशिश का मुकदमा दर्ज किया गया हालांकि इस मुकदमें में उन्‍होंने वर्ष 2007 में दोषमुक्‍त कर दिया गया।

1990 में बना लिया अपना गिरोह

1990 में मुख्‍तार अंसारी ने  अपना गिरोह बना लिया और राजनीति सपोर्ट के चलते सरकारी ठेके, कोयला खान, रेलवे जैसे कामों में 110 करोड़ रूपये से अधिक का साम्राज्‍य खड़ा कर लिया इसके साथ-साथ इनके गिरोह के सदस्‍य अपहरण, हत्‍या, फिरौती, जमीन कब्‍जा जैसे अनेक अपराधोंं को अंजाम देने लगे।


ब्रजेश सिंह गैंग से दुश्‍मनी

1990 के दशक में लगभग हर सरकारी ठेकों पर बहुबली ब्रजेश सिंह ने कब्‍जा करना शुरू कर दिया इस दौरान काम को लेकर माफिया मुख्‍तार अंसारी और ब्रजेश सिंह में दुश्‍मनी शुरू हो गई।
ब्रजेश सिंह ने कई बार मुख्‍तार के काफिलें पर हमला करने कि कोशिश भी करी जिसमें मुख्‍तार कई बार बाल-बाल बचें इनके दुश्‍मनी के ऊपर एक वेब सीरीज भी बनी है जिसका रक्‍तांचाल नाम है।

मछली खाने के शौकीन मुख्‍तार ने खुदबा डाला जेल में ही  तालाब

मुख्‍तार का रूतबा जेल के बाहर के साथ-साथ जेल के अंदर भी उतना ही था यह बात वर्ष 2005 कि है जिसमें हिंसा भड़कने के आरोप में मुख्‍तार अंसारी ने सरेंडर किया था। उसे गाजीपर जेल में रखा गया  मुख्‍तार अंसारी उस समय विधायक था और मछली खाने का काफी शौकीन था।
मुख्‍तार ने ताजा मछली खाने के शौक में जेल में ही एक तालाब खुदवा डाला राज्‍यसभा सांसद पूर्व डीजीपी बृजलाल ने भी इस बात को माना।

डेढ़ साल खाली रही जेलर की कुर्सी


वर्ष 2021 में मुख्‍तार अंसारी को पंजाब की  रोपड़ जेल से यूपी कि बांदा जेल में शिफ्ट किया गया  इसका असर यह हुआ कि कोई भी अधिकारी जेल में जेलर का चार्ज लेने को  तैयार नहीं हुआ। उसके  बाद दो जेल अधिकारी विजय सिंह और ऐ.के सिंह को जेल में जेलर के रूप में कमाना सौंपी  गई।
जून 2021 को बांदा जिला प्रशासन ने जेल में छापा मारा इस दौरान कई जेल कर्मचारी मुख्‍तार की सेवा में  लगे मिले।
ये देखते ही तत्‍कालीन डी.एम अनुराग पटेल और एस.पी अभिनंदन की ज्‍वाइंट रिपोर्ट के अनुसार डिप्‍टी जेलर वीरेश्‍वर प्रताप सिंह और 4 रक्षक को सस्‍पेंड कर दिया गया। 
जेल से छूटे एक अपराधी ने बताया कि मुख्‍तार को स्‍पेशल हाई सिक्‍योरिटी जेल में रखा जाता था उसकी बैरिक दूसरे कैदियों से अलग और सुविधाजनक थी गेट के पास  मुख्‍तार हर रोज घंटो कुर्सी डालकर बैठा करता था। मुख्‍तार जब वहां बैठता था कोई उस  गेट से आ जा नहीं सकता था ।
मुख्‍तार जितनी देर तक  बैरक के बाहर रहता था उतनी देर तक जेल के सीसीटीवी कैमरे बंद कर दिये जाते थे।

मुख्‍तार को मिलता था बाहर का खाना

जून 2022 में डी एम ने जेल में छापा मार था जिसमें पाया गया था कि मुख्‍तार को जेल में दशहरी आम के साथ-साथ बाहर का खाना मिलता था।
उसका इतना रूतबा जेल में था कि वहां जो सुविधा चाहता था उसे बैरक में मिल जाती। 
बताया जाता हैं कि जब वह रोपड़ जेल से बांदा जेल ट्रांसफर हो के आया तो उसके गुर्गे जेल के आस-पास किराये पर कमरा लेकर रहने लगे। मुख्‍तार के बड़े भाई अफजाल अंसारी ने मुख्‍तार के जेल में हत्‍या का अंदेशा जताया था।

कृष्‍णानंद राय की हत्‍या के बाद मुख्‍तार का बुरा वक्‍त शुरू हुआ


मुख्‍तार के बड़े भाई अफजाल अंसारी ने गाजीपुर विधानसभा सीट से 5 बार चुनाव जीते । 2002 में बीजेपी के कृष्‍णानंद राय ने अफजाल अंसारी को हरा दिया चुनाव जीतने के तीन साल बाद सन् 2005 में कृष्‍णानंद राय एक क्रिकेट टूर्नामेंट का उद्घाटन करने गये थे।
उद्घाटन करके लौटते वक्‍त हत्‍यारों ने कार को  घेरकर लगभग 400 राउंड गोलियां चलाई और कृष्‍णानंद सहित 6 लोग मारे गये। 
जब कि कृष्‍णानंद की हत्‍या के समय  मुख्‍तार अंसारी जेल में था और जेल में रहकर इस  हत्‍याकांंड को अंजाम दिया।

कोयला करोबारी की डील की बहाने हत्‍या

ये बात उस समय की है जब मुख्‍तार कोयला के व्‍यापार में अपने पैरा पसर रहा था 5  नवंबर 1997 को मुख्‍तार ने बनारस के कोयला करोबारी नंद किशोर को टेलीफोन में 5 करोड़ रूपये की फिरौती मांगी और फिरोती न देने पर जान से मारने की  धमकी दी और सबसे भरोसेमंद शूटर अताउर रहमान से गोली मरवाकर हत्‍या करवा दी ।
आश्‍चर्य की बात  हैं कि इस हत्‍याकंड में नंदकिशोर करीब डेढ़ करोड़ रूपये दे चुके थे पर शेष फिरोती की राशि न देने पर उनकी हत्‍या कर दी गई।
नंंद किशोर के भाई महावीर प्रसाद ने इस जघन्‍या हत्‍या कांड के विषय में रिपोर्ट दर्ज करायी और बताया कि रहमान ने नंद किशोर को डील के बहाने बुलाया था और हत्‍या कर उनके शव को प्रयागराज में ठिकाने लगा दिया।

जेल में बैठे बैठे चलाता था गैंग

जेल कोई भी हो मुख्‍तार का रोब वैसा ही रहता था उसको जेल में वह सब सुविधायें मिलती थी जो  वहां चाहता था जैसे बाहर का खाना, मोबाइल फोन इत्‍यादि जब वह बैरक के बाहर रहता था उस टाइम बैरक के कैमरे तक बंद कर दिये जाते थे यहां तक अब वह अपनी गैंग को जेल में बैठे-बैठे चलाता था यह तक उसकी पत्‍नी भी कई बार घंटो तक उसकी  बैरक में रहती थीी। 
            
 
 
    

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