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Nestle एक ऐसी कंपनी हैं  जो हम सब ने कहीं न कहीं सुनी है और शायद हमारे घरों में उनके उत्‍पादोंं को भी देखा गया है। इसकी कंपनी की शुरूआत 1866 में स्‍वीजरलैंड में हुई थी Nestle के उत्‍पादों में चाय, बिस्‍कुट, मैगी, सैरलेक, वाटर ड्रिंंक्‍स, आइस्‍क्रीम इत्‍यादि शामिल है। अगर हम इस कंपनी की बात करें तो यह मार्केटिंग में नंबर एक है, रेवन्‍यू में नंबर एक है हर चीज में  आगे है। इस कंपनी के 29 ब्रांड है जिसके सेल 8000 करोड़ से ज्‍यादा है और इसके अलावा और अन्‍य ब्रांड है । इसके साथ-साथ इस कंपनी 190 देशों में 450 से ज्‍यादा फैक्‍ट्री और 3 लाख से ज्‍यादा कर्मचारी कार्यरत है।   

1970 के दशक में  Nestle का सेरेलक कांड

वर्ष 1973 - 1974 के दशक की बात है जब Nestle का सेरेलक कंपनी के बारे में पहली बार खबर प्रकाशित कि गई। यह खबर ब्रिटिश एनजीओ के द्वारा द बेबी किलर नामक पुस्‍तक में प्रकाशित कि गई थी। इस रिपोर्ट में बताया गया कि कैसे Nestle  विकासशील देशों में हो रहे भ्रामक प्रचार कर रही है। जिसमें शिशु फॉमूला बेस मिल्‍क को मॉं के दूध से बेहतर और पौष्टिक बताया जा रहा है। जब यह पु‍स्‍तक प्रकाशित हुई तो Nestle ने इस पुस्‍तक के विरोध हेतु न्‍यायालय में मुकदमा दाखिल कर दिया और कुछ साल कि सुनवाई के बाद अदालत ने Nestle के पक्ष में फैसला सुनाया और न्‍यायालय ने कहा कि Nestle को अपनी प्रचार विधियों में बदलाव करना चाहिए। आईफबीएएन का यह भी आरोप था कि Nestle अपने प्रोडेक्‍ट को उन देशोंं में पर्याप्‍त भाषा में लेबल नहीं करती जहां वहा बेचे जाते हैं तथा अपने प्रोडेक्‍ट कि व्रिकय बढ़ाने हेतु अन्‍य तरह के अनुचित तरीको का उपयोग करती हैं।


          Nestle क्‍यों कर रहा है Customers कि जान के साथ खिलवाड़

इस मुद्दे के व्‍यापक प्रचार के कारण संयुक्‍त राज्‍य अमेरिका, ऑस्‍ट्रेलिया, कनाडा, न्‍यूजीलैंड के साथ-साथ अन्‍य यूरोपियन देशों में भी इसका विरोध किया जाने लगा।

Nestle के यह उत्‍पाद उन विकासशील गरीब देशों के लिये नुकसान दायक था। जिनमें स्‍वच्‍छ पानी की व्‍यवस्‍था नहीं थी जैसे अफ्रीकन देश । यह उत्‍पाद पानी में मिला कर छोटे-छोटे शिशुओं को दिया जाता था पर खराब पानी  के कारण और साक्षरता के अभाव में कई बार माताएं इस बात का ध्‍यान न रखकर छोटे शिशुओं को इस उत्‍पाद को  अस्‍वच्‍छ पानी में घोलकर दे दिया जाता था । जिसमें बच्‍चों के डायरिया ने मरने कि संभावना कई गुना तक होती थी वहीं निमोनिया से मरने वाले शिशुओं की संख्‍या स्‍तनपान करने वाले शिशुओं की तुलना में चार गुना तक हो जाती थी। 

Nestle का मैगी कांड भारत में 

भारत में मैगी पर प्रतिबंध 5 जून को उत्‍तरप्रदेश में लगा दिया था। जिसमें भारतीय खाद्य सुरक्षा मानक प्राधिकरण कीी जांच में पाया गया था कि Nestle अपने मैगी उत्‍पाद में सुरक्षा मानको से अधिक मात्रा में लेड (सीसा) मिला रही है। और लेबल में ''नो एडेड एमएसजी'' का लेबल लगा कर उपभोक्‍ताओं  काे गुमराह कर रही है। उन दिनों इस प्रतिबंध से मैगी को 350 करोड़ से अधिक का नुकसान हुुआ और मैगी उत्‍पाद पर भा्रमक और झूठे विज्ञापन हेतु  640 करोड़ रूपये का मुकदमा भी मैगी में दायरा किया गया और भारत के साथ - साथ अफ्रीकन देश केन्‍या, युगांडा, तंजानिया, रवाडा, दक्षिण सुडान में भी इस प्रोडेक्‍ट का बहिष्‍कार कर दिया बाद में भारतीय सुप्रीम कोर्ट ने मैगी पर बिना किसी जुर्माना और प्रतिबंध लगाये इस मामले को समाप्‍त कर दिया ।    


बाद में कंपनी ने उत्‍पाद में सुधार के वादे के साथ दुबारा इस उत्‍पाद को बाजार में उतार दिया।

कितना खतरनाक है लेड (सीसा) ?

चिकित्‍सक के मुताबिक लेड सेहत के लिये बहुत ही खतरनक है। अधिक लेड के सेवन से किडनी खराब हो सकती है और किडनी के साथ - साथ लेड नर्वस सिस्‍टम को भी खराब कर सकता है।

फूूड मानको के अनुसार किसी भी खाने के उत्‍पाद मे लेड की मात्रा 2.5 पीपीएम तक ही होनी चाहिए पर मैगी में इससे कही अधिक मात्रा में लेड पाया गया था।

Nestle का पानी कांड पाकिस्‍तान में

Nestle अपने बोतलबंद पानी के लिये  विकासशील देशोंं के भूजल को बर्बाद कर रही है। यह बात है वर्ष 2018 कि जहां Nestle ने पाकिस्‍तान में वाटर प्रोजेक्‍ट लांच किये पर यहां  प्रोजेक्‍ट पाकिस्‍तान में खुशी कि जगह दुख का कारण बना ।

इस प्रोजेक्‍ट के कारण पाकिस्‍तान का भूजल स्‍तर का काफी नीचे चला  गया जिसके कारण कुएं , बावड़ी, तलाब सूक गये और पाकिस्‍तान को भारी संकट का सामना करना पड़ा।

पाकिस्‍तान के मुख्‍य न्‍यायाधीश मियां साकिब निसार ने अनुरोध किया कि कंपनी अपने पानी के उपयोग का डाटा प्रकट करें।

 निसार ने कहा '' वे पानी निकल रहे है और बेच रहे हैं किसी को यह बताना चाहिए कि कंपनी इस पानी के लिये भुगतान कर रही या नही।

पानी अब  मुफ्त नही मिलेगा क्‍यों कि अब इसकी  कीमत सोने के बराबर हो गई है।'' 



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